Thursday, September 27, 2018

ए दिल तू आज....

लबों पे आज यूँ छाई है हसी
और ना मिले मुझे मेरी तनहाई
आँखों के आँसू भी छुपे है कहीं
और धड़कन क्यूँ सुनाए शहनाई
ए  दिल तू आज शायर क्यों है......
है नगमे तेरे जैसे हो मुस्कराहट
जरा सोच के बता ए मेरे दिल
कही सुनी क्या तूने उनकी आहट

आइना भी आज दीवाना सा लगे
न दिखाए अक्स, दिखे उनकी परछाई
हवाए भी सहमी हुई क्यों न जाने
बहारें भी उनकी ही खुशबु ले आई
ए दिल तू आज गुलज़ार क्यों है....... 
तू क्या चाहता है मुझे दे बता
कहीं  वो दिखे और कही बस अदाए  
कही उनकी यादें कही बस दुआ

मैं क्या चाहती हूँ, तुझे सब पता है
तो छेड़े क्यों मुझको मेरे दिल बता
क्यों कहता नहीं है तू मुझसे न जाने
कहाँ  तक चलाएगा ये कारवाँ
ए  दिल तू आज कोहराम क्यों है...... 
ना ले मेरे चाहत की यूँ इन्तहा
वही मेरी मंज़िल जहा वो खड़े है
है उनकी ही आँखों में सारा जहाँ

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