Sunday, October 7, 2018

ए -ज़िन्दगी..

जो कभी हाथों की लकीरों में बहती थी
और बुनती थी सपने रंग धागों से
जो चहकती कभी दिल में धड़कन जैसी
और मिलती थी मुझे अपनी राहों में
वो ज़िन्दगी कहा खो गयी
क्यों सांसें बेवफा हो गयी.... 
मेरे मरने के बाद रोना मत ए -ज़िन्दगी
तुझे जीने की ख्वाहिश में ही जान गवाई है...

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